भारत ने 15 अगस्त , 2012 को अपना 66 वां स्वतंत्रता दिवस मनाया । आज भारत कई क्षेत्रों में विकास कर रहा है । शहरों के साथ गाँवो का भी विकास हो रहा है लेकिन आज भी भारत के कई ग्रामीण क्षेत्र ऐसे हैं जो बुनियादी समस्याओ से जूझ रहे हैं । आज भी वहाँ विकास नही पहुँच पा रहा है जबकि भारत की 68.85 प्रतिशत जनसँख्या गाँवो में ही रह रही है । भारत के ये ग्रामीण क्षेत्र 6 सवालो से परेशान हैं :-
1. शिक्षा – “रोजगारी कब बढ़ेगी ?”
भारत के गाँवो में शिक्षा – रोजगार यह मुख्य प्रश्न है । शहरों में 85 प्रतिशत लोग शिक्षित है और गाँवो मे केवल 68.5 प्रतिशत लोग ही शिक्षित है, जबकि भारत की ज्यादातर आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में है । भारत की केंद्र और राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा-रोजगार की बढ़ोतरी के लिए कई योजनाये चला रही है । निशुल्क प्राथमिक शिक्षा, ग्रामीण छात्राओं को साइकल, रोजगार के लिए मनरेगा जैसी कई योजनाए चल रही है । कुछ जगह ये योजनाए सफ़ल हुई तो कई जगह इन योजनाओ के बड़े- बड़े घोटाले सामने आये । ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र जब उच्च शिक्षा प्राप्त करते है तो उन्हें रोजगार शहरों में मिलता है । गाँवो में शहरो की तरह, रोजगार इन छात्रो को मिले ऐसी व्यवस्थाएं सरकार को करनी चाहिए साथ ही शिक्षा और रोजगार की इन योजनाओ में चल रहे घोटालो को खत्म करना चाहिए, तभी इस समस्या का हल मिल सकता है ।
2. गरीबी – “आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया”
आज़ादी के इतने सालों बाद भी भारत में गरीबी अभी भी दिख रही है । तेंदुलकर कमेटी के रिपोर्ट अनुसार भारत में 37.2 प्रतिशत लोग गरीब है । आज जब हर कोई इस प्रश्न के हल होने की आश लगाये है, तब सरकार इसे सिर्फ कागजो पर ही कम करना चाह रही है । आयोजनपंच के अध्यक्ष के हिसाब से गावों में 26 और शहरो में 32 रुपये कमाने वाला अब गरीब नहीं है ।
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बिजली, पानी की किल्लत है । कई गाँव शहरो से जुड़े हुए नहीं है । इसलिए आज़ादी के इतने सालों बाद भी नेता हर बार अपने भाषण में रास्ते, बिजली, पानी के पुराने वायदे दोहराते है । भारत में 6 लाख से अधिक गाँव है इन गाँवो के विकास के लिए सरकार योजनाए बना तो रही है पर उन पर सही तरीके से अमल नही कर रही । अब सरकार को चाहिए की वो नई योजनाए बनाने की जगह पहले से चल रही योजनाओ का पूरा करे जिससे इस प्रश्न को हल किया जा सके ।
3. कुपोषण से मुक्ति कब मिलेगी ?
3. कुपोषण से मुक्ति कब मिलेगी ?
भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कुपोषण को रास्ट्रीय कलंक कहते हुए चिंता जताई थी । केंद्रीय सरकार और राज्य सरकार इस मुद्दे को हल करने के लिए ग्रामीण इलाके के बच्चो को मध्याहन भोजन योजना और दूसरी योजनाओ पर अमल करा रही है, फिर भी समस्या हल नहीं हो रही, क्यों? सरकार की ओर से जो फ़ूड पेकेट दिए जाते हैं, वह इंसानों के खाने लायक न होने के कारन बच्चे और माता-पिता इसे जानवरों को खिला देतें है और इस योजना में बड़े पैमाने पर भ्रस्टाचार के किस्से बहार आयें है ।
सरकार भोजन में हर स्कूल में फ़ूडपेकेट के बजाये वहीँ बना हुआ भोजन करवाएं । स्कूलों को उसके लिए योग्य सामान दें, और साथ ही योजना का मूल्यांकन करवाने से इस योजना का असर भी दिख सकता है ।
4. बढती जनसँख्या कब रुकेगी?
4. बढती जनसँख्या कब रुकेगी?
भारत आज 121 करोड़ की जनसँख्या के साथ दूसरे स्थान पर है और यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर भारत का जनसँख्या वृद्धि दर ऐसा ही रहा तो भारत चीन से भी आगे निकल जायेगा । 121 करोड़ की जनसँख्या का एक बहुत बड़ा हिस्सा गाँवों में रहता है, केंद्र सरकार और राज्यों की सरकार कुटुंब नियोजन की योजनाए चला रही है, जिसका असर कुछ प्रमाण में हुआ है । 1991-2001 में जनसंख्या वृद्धि दर 18.1 प्रतिशत थी जो 2001-2011 में घटकर 12.2 प्रतिशत हो गयी है ।
भारत के ग्रामीण परिवार के लोगो की मान्यता “ज्यादा संतान ज्यादा आमदनी” , यानि कि जितने अधिक सदस्य उनते अधिक कमाने वाले, को बदलने की जरुरत है । साथ ही उनको सही मार्गदर्शन देना आवश्यक है ।
भारत के ग्रामीण परिवार के लोगो की मान्यता “ज्यादा संतान ज्यादा आमदनी” , यानि कि जितने अधिक सदस्य उनते अधिक कमाने वाले, को बदलने की जरुरत है । साथ ही उनको सही मार्गदर्शन देना आवश्यक है ।
5. दहेज़प्रथा – कन्याभ्रूण हत्या कब रुकेगी ?
21 वीं सदी मे भारत को दुनिया की महासत्ता के रुपमे उभरता देखा जा रहा है और भारत में आज के दौर में भी दहेज़ के कारण हत्या और कन्याभ्रूण हत्या के किस्से बन रहे है । आंकड़ो के अनुसार भारत में पिछले 2 दशको में 10 लाख से ज्यादा कन्याभ्रूण हत्याए की गयी है । दहेज़ के कारण होने वाली हत्याओ का प्रमाण भी बढ़ा है । नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के
अनुसार 8172 केस दहेज़ के कारण होने वाली हत्या के 2008 में दर्ज हुए थे जो 1998 की तुलना में 14.4 प्रतिशत ज्यादा है ।
भारत में इन मामलो के लिए कई कायदे बने है, लेकिन इनका अमल न के बराबर होता है । इन प्रश्नों को हल करने के लिए इन कायदों का अमल में आना जरुरी है । साथ ही स्त्रीओं का इन मामलो मे आवाज़ उठाना भी बेहद जरुरी है ।
21 वीं सदी मे भारत को दुनिया की महासत्ता के रुपमे उभरता देखा जा रहा है और भारत में आज के दौर में भी दहेज़ के कारण हत्या और कन्याभ्रूण हत्या के किस्से बन रहे है । आंकड़ो के अनुसार भारत में पिछले 2 दशको में 10 लाख से ज्यादा कन्याभ्रूण हत्याए की गयी है । दहेज़ के कारण होने वाली हत्याओ का प्रमाण भी बढ़ा है । नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के
अनुसार 8172 केस दहेज़ के कारण होने वाली हत्या के 2008 में दर्ज हुए थे जो 1998 की तुलना में 14.4 प्रतिशत ज्यादा है ।
भारत में इन मामलो के लिए कई कायदे बने है, लेकिन इनका अमल न के बराबर होता है । इन प्रश्नों को हल करने के लिए इन कायदों का अमल में आना जरुरी है । साथ ही स्त्रीओं का इन मामलो मे आवाज़ उठाना भी बेहद जरुरी है ।
6. भ्रष्टाचार कहाँ तक चलता रहेगा?
हालही में इसके लिए कई आन्दोलन हो चुके है और हो रहे है, यह भ्रष्टाचार आगे के प्रश्नों का सबसे बड़ा कारण है । भारत सरकार कई योजनाए बनाती है लेकिन वो सारी योजना उसके हकदारों तक नहीं पहुच पाती, भ्रष्टाचार के कई मामले पिछले कुछ समय में बहार आये है, हमारे देश के नेताओं की संपति में बढ़ोतरी होती जा रही है लेकिन आमआदमी महंगाई से लड़ रहा है। 2011 में कई मंत्रियो की संपति में 107 प्रतिशत से 294 तक वृद्धि पाई गयी थी । भ्रष्टाचार के मामले में एक सर्वे अनुसार भारत 178 देशो मे 95वे स्थान पर है ।
भारत में भ्रष्टाचार को रोकने के लिये सख्त कानून बनना चाहिए साथ ही उस पर अमल होना चाहिए । लोकजागृती भ्रष्टाचार को मिटाने का सर्वोत्तम हथियार है, हर योजना में पारदर्शिता लाने की जरुरत है । भ्रष्टाचार को हल करने से कई अन्य समस्याए स्वयं ही हल हो सकती है ।
लेखक : अली असगर देवजानी